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कविता

बच्ची

श्रीप्रकाश शुक्ल


 

बच्ची को बहलाते-फुसलाते दरिंदों ने जब बलात्कार किया होगा

तो अपराध के उस सबसे निरंकुश समय में
उसके मुख से
दुनिया का जो सबसे पवित्र शब्द निकला होगा

माँ...

उन्होंने उस शब्द को कैसे सुना होगा

उसका गला दबाते समय भी यह शब्द निकला होगा अंतिम बार
तो क्या उन्होंने तनिक भी सोचा होगा
यह एक बच्ची की नहीं
माँ की आवाज है
जो अपनी ही संतान से कद्र-ओ-रहम की भीख माँग रही है!
   ('ओरहन और अन्य कविताएँ' संग्रह से)


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