अ+ अ-
|
1. भाषाहीन
2. पछतावा
3. अबोला
1. भाषाहीन
मेरे पिता ने बहुत बार मुझसे बात करनी चाही
मैं भाषाएँ सीखने में व्यस्त थी
कभी सुन न सकी उनका दर्द
बाँट न सकी उनकी चिंता
समझ न सकी उनका मन
आज मेरे पास वक़्त है
पर पिता नहीं रहे
उनकी मेज़ से मिला है एक ख़त
मैं ख़त को पढ़ नहीं सकती
जाने किस भाषा में लिखा है
कोई पंडित भी नहीं पढ़ सका
भटक रही हूँ बदहवास आवाजों के जंगल में
मुझे भूलनी होंगी सारी भाषाएँ
पिता का ख़त पढ़ने की खातिर
2. पछतावा
हम कितने बरस साथ रहे
एक दूसरे की बोली पहचानते हुए भी चुपचाप रहे
आज जब खो गई है मेरी ज़ुबान
तुम्हारी सुनने और देखने की ताकत
छटपटा रहा हूँ मैं तुमसे कुछ कहने को
बेचैन हो तुम मुझे सुनने देखने को
हमने वक़्त रहते बात क्यों न की
3. अबोला
बहुत सारा शोर घेरे रहता था मुझे
कान फटे जाते थे
फिर भी तुम्हारा चोरी छिपे आना
कभी मुझसे छिपा नहीं रहा
तुम्हारी पदचाप मैं कान से नहीं
दिल से सुनता था
बहुत सारी चुप्पी घेरे रहती है मुझे
मैं बदल गया हूँ एक बड़े से कान में
पर कुछ सुनाई नहीं देता
तुम्हारे अबोला ठानते ही
मेरा खुद से बतियाना भी ठहर गया
वैसे दिल अब भी धड़कता है
|
|