दूसरों की कमियों को बाल की खाल खींच कर साबित करने में तुम माहिर हो! कभी सोचा है अपने बारे में? अपनी खामियों के बारे में? कभी जोड़कर देखो उन कमियों को तो पाओगे एक ऐसा पहाड़ जिसकी ऊँचाई का कोई जोड़ नहीं होगा!
हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ
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