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कविता

मैं

सुमित पी.वी.


मेरे जैसे लोग कम होते हैं
जिन्हें दूसरों की परवाह नहीं होती है
जिन्हें दूसरों का इंतजार नहीं होता है
जिन्हें अकेले रहना पसंद होता है

मेरे जैसे लोग कमतर होते हैं
जिन्हें दूसरों की बातों का खयाल नहीं रहता है
जिन्हें उन खयालों में
खोए रहने की इच्छा भी नहीं रहती है

मेरे जैसे लोग विरले ही होते हैं
क्योंकि कौन चाहेगा
ऐसी पहचान?
ऐसा व्यक्तित्व?
ऐसी जिंदगी?


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