पार्क की बेंच पर
अक्सर वे दिख जाते थे
आपस में बतियाते... हँसी मजाक करते
फरमाते...प्यार में डूबते...
हाथ मिलाते... गले मिलते...
बीच के कुछ महीने वे
पार्क की उस बेंच पर नहीं
कहीं भी न मिले।
फिर अचानक एक दिन वहीं
उसी पुरानी बेंच पर वे
आ बैठने लगे
मगर फरक इतना था
दोनों अपने में खोए हुए थे!