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कविता

कवि और पाठक

सुमित पी.वी.


तुम्हारी कविताएँ सचमुच
अच्छी लगती है
कहती हैं
मेरी अपनी
नहीं
हम सबकी कहानी
मुझसे।
उसमें जीवन की महक है
ताल है, लय है
आखिर उनमें जिंदगी को
ही तुमने उकेरा है
सुनो कवि
हमें हताश मत करो
आगे बढ़ते जाओ
बेहद इंतजार है
तुम्हारी कविताओं का।
अरे ओ पाठक
कवि बेचैन है, चिंतित है
गर्भ में है कविता
रुको तो थोड़ी देर।


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हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ



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