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कविता

प्यार, इश्क और मुहब्बत

सुमित पी.वी.


शहर में देखा प्यार
गाँव में देखा इश्क
जहाँ में देखी मुहब्बत
अब खत्म करना ही होगा
उन रचनाकारों को
जो अनदेखे, नाजायज
मनमुटाव को बढ़ावा देते हैं
उनको उम्र कैद की सजा देनी होगी
उन्हें भेजना होगा कालापानी
मेरे पास खड़े लोग
अभी भी शांत है!


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