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कविता

कल

सुमित पी.वी.


हर दिन कुछ न कुछ
मुसीबत का सामना
करना ही पड़ता है
तब सोचता हूँ
कल कुछ अच्छा होगा
सोच-सोच कर आज तक पहुँचा
लेकिन कभी भी
इस उम्र तक
स्थिति कुछ सुधरी तो नहीं
अभी भी इंतजार है
उस कल का!


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हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ



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