घर से निकलते समय
सुनिए, शाम को घर लौटते
वक्त हरी मिर्च लेते आना,
भूलना नहीं!!'
ठीक है'
रास्ते में
जी, आप वह बिजली ऑफीस के
लफड़ा का कुछ करे देंगे?'
हाँ, आप भी कैसी बातें कर रही हैं!
मैं हूँ ना? करके आऊँगा। ठीक है?'
आज कल वे अपने पास
दो मोबाइल रखते हैं
जब भी किसी काम में
मन लगाते हैं तो
रोने लगता है ये मोबाइल!!
उसमें एक को मनाने में लग जाते हैं
तो दूसरा भी शुरू करता है चिल्लाना!!!
सर, आपने हमारा फीस भर दिया?
हाँ, वह तो कल ही भर दिया था, विमला।
और कोई मदद?'
नहीं जी थैंक्स'
ओहह!!! इट्स ओ.के.'
पुनः काम में व्यस्त होते ही
अगला आदमी
आपने वह प्रोपर्टी डीलर का काम
निपटाया कि नहीं?'
जी, कल ही उनसे बात हुई और
आज संभवतः काम हो जाएगा, जरूर।'
उनके कहने पर ऐसा कोई काम नहीं
जो अटका रहता है!
सब काम होता है, उन्हीं के कारण
नहीं, उन्हीं के द्वारा!!
घर का, विभाग का, शहर का
जमाने का, दुनिया का काम
कैसे करते हैं ये हमारे सुरेंद्रन जी?
लगता है उन्हें चौबीस घंटे
कम पड़ जाते होंगे!!
कभी उधर, कभी इधर
कभी यहाँ, और कभी वहाँ
उनकी राय भी सुनी मैंने
आदमी अच्छा तब होता है
जब वह दूसरों की मदद करता है।
तो क्या सुरेंद्रन जी,
आप को लगता है, इस तरह मदद आपको वापस मिलती रहेगी?
खुद सोचिए,
कहीं इस जमाने में कोई गुंजाइश
आपके जैसे लोगों की?