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कविता

नाच

लाल सिंह दिल


जब मजदूरिन तवे पर
दिल को पकाती है
चाँद शीशम के बीच से हँसता है
बालक छोटे को बाप
बैठकर बहलाता है
कटोरी बजाता है
और बालक जब दूसरा बड़ा
करधनी का घुँघरू बजाता है
और नाचता है
ये गीत नहीं मरते
ना ही दिलों से नाच मरते हैं।

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