बेर चुनती भोलियाँ
निर्वस्त्र कुड़ियाँ
पहाड़ी आक के पत्ते
ठीकरे
इकट्ठे करके
मिट्टी की रोटियाँ बनाकर
गुड़ियाओं के ब्याह के कपड़े गिनतीं
कपड़े जोकि उनके अपने कपड़ों की तरह
मैले और पुराने होते हैं
गुड़िया के ब्याह में रखती हैं
बैर आक की पत्तियों में लपेटकर
बेर चुनाती भोलियाँ
कुड़ियाँ मजूरी को जातीं
फिर किसी दिन ब्याही जातीं
माँ-बाप
मिट्टी की रोटियाँ
बेरों
जैसी आहें भरकर
सिर दुलार देते
पुराने और सस्ते कपड़ों की महक
सस्ते साबुन क्रीम में महकती
इससे बड़ी खुशी कोई फिर नहीं आती
औलाद की खुशी
दरदों सिर-पीड़ा संग झुलसी जातीं
जननी सूखी रोटी में उमर का लहू खा लेती
बच्चे चलने लगते
बाल नोचते
पैसे माँगते
जेब में से बेर देकर फिर चपेड़ दिखाती माँ
बर्तन से नमक टटोलती
गाने लगती
देवर का प्यार...
भोली माँएँ मजाक करतीं
बेर चुनतीं
वे जिनका पति
मौत की पगडंडी भी चला जाता
पत्थर की तरह जीएँ जवानी मंे
उमर कट जाए
जीवन के कीचड़ में जूझतीं
ना बेर चुनतीं
ना मज़ाक करतीं
यह बात बताई जाए
यदि दूसरे ग्रह के लोगों को
पत्थर हो जाएँ
ना फिर उठ सकें
पशुओं को इसका यदि अहसास हो जाए
जंगलों को दौड़ जाएँ
मनुष्यता से डरते चीखते।