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कविता संग्रह

अलंकार-दर्पण

धरीक्षण मिश्र

अनुक्रम 57 क्षेपक अलंकार पीछे    

उदाहरण :-

पट ना दे उरवा मुखा छपरा देति उजार।
भोरे खुरहुरिया उठा सासुर सिसवा झार॥
भाट पार ना पा सके कहि भटिनी गुण ठीक।
सोहनरिया मझगाँव जहँ मठिया ओसे नीक॥
चख नी के घर से लिया तर कुलवा का बाट।
बीच राह में मिल गया हमें लबनियाँ घाट॥
बा सठ सत्ताईस एक सठ बीस सतावने।
सत सठ सब अनईस अड़सठ सत्तर तेरहे॥
चखनी कोइन्‍दी बरहि बरवा राजा पूर।
रहसू मोरवन अमरवा पट हेरवा समऊर॥
गोरखपुर मेरठ उर ई माधव पूर प्रयाग।
भोरे सूरत चेतिया बर्दवान सोहनाग॥
तरकुलवा फाजिल नगर चखनी सम्‍भल पूर।
मोड़ बन रहा हरखुआ कोइनहियाँ बेलूर॥
आ समान पुर एक माँ अटल मुरादा बाद।
लछिया श्री पुर ठकरहा जगत पुर सलहाद॥

 


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