hindisamay head


अ+ अ-

कविता

हवा का झोंका

मोहन सगोरिया


हवा का एक झोंका आया
खुल गए कपास के कपाट
उड़-उड़ गए बगुले दसों-दिशाओं में

हवा का एक ही झोंका आया था
और नींद भटक गई अपना रास्ता।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में मोहन सगोरिया की रचनाएँ