बिजली और बादल से नींद का अवश्य कोई संबंध है कि इधर वे चमके-कड़के उधर वह उठ बैठा तड़के
बरसात और बदली का संबंध भी जरूर होगा अंधकार से
ठीक इसके उलट अभी-अभी उठकर चल देने वाले का संबंध जैसे अंधी कोठरी से छनकर आ रही किरण से है।
हिंदी समय में मोहन सगोरिया की रचनाएँ