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कविता

इंतजार

शैलजा पाठक


एक शब्द इंतजार

एक लंबा सूखा रास्ता
एक गहरे गढ्डे में सूखी पड़ी नदी

यादों की परतें खुरचती
नमी तक पहुँचती आवाज

मंदिर में बेजान जलता दिया
काँपती जिंदगी की लौ

तकिए में मौन पड़ी हिचकी
दस्तक पर हहराता कलेजा

यकीं पर बरसों से एक ठंडी
पड़ी आग

इंतजार एक शब्द नही
एक रुदन है

सूखे चेहरे पर खारे आँसुओं
का थका सा समंदर...


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