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कविता

एक जुलाई

शिरीष कुमार मौर्य


(पत्नी के जन्मदिन पर)

 

किसी पके हुए फल-सा
गिरा यह दिन
मेरे सबसे कठिन दिनों में

उस पेड़ को मेरा सलाम
जिस पर यह फला
सलाम उस मौसम को
उस रोशनी को
और उस नम सुखद अँधेरे को भी
जिसमे यह पका

अभी बाकी हैं इस पर
सबसे मुश्किल वक्‍़तों के निशाँ

मेरी प्यारी !
कैसी कविता है यह जीवन
जिसे मेरे अलावा
बस तू समझती है

तेरे अलावा बस मैं !
 


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