hindisamay head


अ+ अ-

कविता

काले लिबास में विधवा

अन्ना अख्मातोवा

अनुवाद - सरिता शर्मा


काले लिबास में एक विधवा - रोने लगती है
एक निराशाजनक बादल के साथ
ढाँप देती है सब दिलों को एक निराशा के कोहरे से
जब याद किए जाते हैं उसके पति के शब्द साफ-साफ
उसका ऊँचे स्वर में विलाप बंद नहीं होगा
चलेगा यह रुदन तब तक, जब तक बर्फ के गोले
दुखी और थके लोगों को सुकून नहीं देंगे
पीड़ा और प्रेम की विस्मृति का मोल
हालाँकि जीवन देकर चुकाया गया
इससे ज्यादा क्या चाहा जा सकता था ?


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में अन्ना अख्मातोवा की रचनाएँ