दूर से आती है चिट्ठियाँ अपनों को और अधिक अपना बनाने के लिए और दुनिया छोटे से कागज में सिमटकर बैठ जाती है हृदय पर पहला खत था यह बेटी का मुझको लिखा हुआ अपने सारे दुख-सुख का निचोड़ घूमता रहा कई दिनों तक मेरे मन में।
हिंदी समय में नरेश अग्रवाल की रचनाएँ