इतने घुप्प अँधेरे में एक पीली पतंग धीरे-धीरे आकाश में चढ़ रही है। किसी बच्चे की नींद में है उसकी गड़ेरी किसी माँ की लोरियों से निकलती है डोर !
हिंदी समय में उदय प्रकाश की रचनाएँ
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कविताएँ