पाँच साल से मरे हुए दोस्त को चिट्ठी डाली आज जवाब आएगा एक दिन कभी भी सीढ़ी, शोर, टेबिल, टेलिफोन से भरे भवन की किसी भी एक मेज पर मरा हुआ मैं उसे पढ़ते हुए हँसूँगा कि लो, आखिर मैं भी !
हिंदी समय में उदय प्रकाश की रचनाएँ
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कविताएँ