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कविता

लय

हरीशचंद्र पांडे


अयूब भागो
अम्माँ भागो

इस नदी से डरो नहीं
आँसू की है सिर्फ घुटने तक चढ़ेगी
हद से हद घाव हुआ
तो नमक जलेगा बस

अम्माँ,
अयूब चल क्यों नहीं रहा?
पापा सोते क्यों जा रहे?

अम्माँ, आप लोग कहाँ हो
और सारे सब लोग कहाँ हैं?

वो नदी भी कहाँ गई?

मुझे कुछ, अम्माँ
दिखता क्यों नहीं?


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