पानी अगर सिर पर से गुजरा, आलोचको
तो मैं किसी दिन आजिज आकर अपने शरीर को
परात में गूँथ कर मैदे की लोई बना डालूँगा
और पिछले तमाम वर्षों की रचनाओं को मसाले में लपेट कर
बनाऊँगा दो दर्जन समोसे
और सारे समोसे आपकी थाली में परोस दूँगा
तृप्त हो जाएँगे आप और निश्चिंत
कि आपके अखाड़े से चला गया
एक अवांछित कवि-कथाकार
नमस्कार !