मैंने बिल्कुल साफ-साफ देखा उस बस पर बैठे कहीं जा रहे थे पिता उनके सफेद गाल, तंबाकू भरा उनका मुँह किसी को न पहचानती उनकी आँखें उस बस को रोको जो अदृश्य हो जाएगी अभी उस बस तक क्या पहुँच सकती है मेरी आवाज ? उस बस पर बैठ कर इस तरह क्यों चले गए पिता ?
हिंदी समय में उदय प्रकाश की रचनाएँ
अनुवाद
कविताएँ