अपन तिनसुकिया में बैठकर चले जाएँगे... यहाँ तो क्या रहना बहुत दूर जाती है तिनसुकिया तिनसुकिया हारे हुए मुसाफिरों के उम्मीद में डूबे दिलों की तरह धड़कती है... चलो, तिनसुकिया में चलो... लाइन हरी है तिनसुकिया अब छूटने वाली है ।
हिंदी समय में उदय प्रकाश की रचनाएँ
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कविताएँ