पाँच हजार साल पहले नहीं
बल्कि कल ही
हांगकांग में एक घर में
कॉफी टेबल बुक में
घनी नींद के मुड़े हुए
रेशमी पुलिंदों से
आजादी की उड़ान में
हमारे महान पूर्वज
चीनी पैगंबर
दादा फू सी ने
कैलेंडरों के जाल से छूट कर
कालक्रम से बाहर छलाँग लगा दी
और मेरी आत्मा के
परिदृश्य में
साँस छोड़ा
मेरे अस्तित्व की
सभी पर्वत श्रृंखलाओं को
चौंसठ षडरेखाओं में चीरते हुए
हर एक कहानी सुनाने वाला देववाणी स्थल
उन्होंने कहा
मेरे होने की ज्यामिति
पवन धरती स्वर्ग
आग बारिश चाँद
पहाड़ और गरज के साथ भी
श्रेणीबद्ध हो गई -
वंशावली की पुकार पर
जवाब दिया
मैं बगले की तरह
ध्यान में खड़ी थी
शांत और दृढ
जन्म के रुदन के लिए तत्पर।