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कविता

सुबह

उदय प्रकाश


आधी रात जब पत्तियाँ गिरती हैं
नक्षत्र भी गिरते हैं उनके साथ किसी अकेले अंधकूप में

मेरी उँगलियों में किसी नक्षत्र के आँसू थे सुबह
जब मैंने एक पत्ती को छुआ था ।


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