hindisamay head


अ+ अ-

कविता

यही है भैया कोपेनहेगन

शरद आलोक


बेघर जहाँ मनाते उत्सव
चारो ओर हैं बंदरगाह
दूध की नदियाँ बही जहाँ
नाचें गाएँ सब परिवार।
धेनुमार्ग है, सच्चा आँगन!
यही है भैया कोपेनहेगन!!

पर्यटकों की धूम जहाँ है,
फुटपातों पर लगती फेरी!
फुर्सत में पी मदिरा प्याले,
तनावों से कर लेती दूरी!!
संकोचों के टूटे बंधन!
यही है भैया कोपेनहेगन!!

नाविक का संसार जहाँ है,
सागर जीवन मान जहाँ है
सब को कहने की आजादी,
हर एक का सम्मान जहाँ है,
जहाँ प्रेम ज्यों थाली-बैगन!
यही है भैया कोपेनहेगन!!

कथा की मनहर कथाएँ,
जिन पर करती गर्व हवाएँ!
उपेक्षित लेखक की गाथाएँ,
अब सभी प्रशंसा गाथा गाएँ!!
जहाँ सबके एच सी अंदर्सन!
यही है भैया कोपेनहेगन!!


End Text   End Text    End Text