खंडहरों का प्राचीन अवशेष
काँपते-टूटते, जीर्ण
पत्थरों के अस्तित्व !
याद दिलाते
आने वाली
नई सभ्याताओं को
अपनी अर्वाचीन सभ्यता का।
काँपती-हिलती दीवारें
टूटे-फूटे, आँगन-चौबारे
खड़े हैं सादियों से
महलों के ये अवशेष।
पत्थरों के अवशेष !
स्मृति कराते
परिचय देते
अपने सामाजिक
राजनीतिक
धार्मिक
रिवाजों के।
देख उनकी सभ्यता
विस्मित है आज का मानव।