आवत बाटे सावन, शुरू होई नहवावन
भोला जाड़े में असाढ़े से परल बाड़े
एगो लांगा लेखा देह, राखे राखे में लपेट
लोग धो-धा के उधारे प परल बाड़े
एने बरखा के मारे, गंगा मारें धारे-धारे
जट पावें ना सम्हारे, होत जाले जा किनारे
''सिव-सिव हो दोहाई
मुँह मारीं सेवकाई''
उहो देबे प रिजाइने अड़ल बाड़े
बाटे बड़ी-बड़ी फेर, बाकी सबका से ढेर
हई कलसा के छेद, देखऽ टपकल फेर
''गउरा, धउरऽ हो दोहाई...''
आ त- ''ढेर ना चोन्हाईं-
अभी छोटका के धोए के धयल बाटे
- ''बाड़ू बड़ी गिर्हिथिन, खाली लइके के फिकिर''
- ''बाड़ऽ बापे बड़ी नीक, खाली अपने जिकिर''
- ''बाड़ पथरे के बेटी''
- ''बाटे जहरे नरेटी''
बात बाते-घाते बढ़त बड़ल बाटे
सुनि बगल के हल्ला, ज्ञानवापी में से अल्ला
पूछें - ''भइल का ए भोला, महकइलऽ जा महल्ला
एगो माइक बाटे माथे
एगो तहनी का साथे
भाँग बूट-गाँजा फेरू का घटल बाटे''
दूनो जाना के भेंटाइल, माने दुख दोहराइल
ई नहाने नकुआइल, ऊ अजाने अँउजाइल
इनके लागेला सोमार
उनके जुम्मा के बोखार
दुख कहले सुनल से घटल बाटे
भोला जाड़े में असाढ़े से परल बाड़े