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कविता

देखते मनवा लोभी

प्रकाश उदय


हती-हती फुलवा हतना सोभे
बड़का कतना सोभी, फुलगोभी
देखते मनवा लोभी, फुलगोभी

उजर-उजर फर भर-भर झाबा
जइसे हो नेतवन के साभा
जिन्‍हनी के कुरुता पैजामा
धँगचि के धोअलस धोबी, फुलगोभी

भुँजले अहा, छेंवकले आहा
छनला पर त आहा-आहा
बाकिर तनी सम्‍हर के भाया
पिलुओ कतहूँ होखी, फुलगोभी
जे तीयन आलू के मेंजन
परवर- गोभी- बैगन- वैगन
प्रभु कभु कम करबऽ जो भेजन
तहरो जिभिया टोकी, फूलगोभी

देखते मनवा लोभी, फुलगोभी


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