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कविता

खुशबू की सौगात

फहीम अहमद


बैठ हवा के झूले आई
खुशबू की सौगात।

बरसा पानी रिमझिम रिमझिम
सोंधी मिट्टी महके।
पाकर खुशबू अमराई की
तोता टें टें चहके।

खोल रही खुशबू की पुड़िया
फूलों की हर पांत।

फैल गई घर भर में खुशबू
माँ ने सेंकी रोटी।
अम्मा अम्मा मुझको दे दो
बोली मुनिया छोटी।

अम्मा बोली आओ मुनिया
हम तुम खाएँ साथ।

टाफी बिस्कुट लौंग पुदीना
या हो अमिया कच्ची।
सबकी खुशबू होती प्यारी
लगती मन को अच्छी।

पर माँ की ममता-सी मीठी
खुशबू की क्या बात।

 


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