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कविता

यहाँ में कहाँ वह कुव्वत

हरीशचंद्र पांडे


यहाँ आटे की चक्की है

एक जंग लगे टिन को रगड़-रगड़
प्राइमर के ऊपर काला रंग पोत
सफेद अक्षरों में लिखा गया है इसे
और टाँग दिया गया है बिजली के खंभे के सीने पर

यहाँ आटे की चक्की है
इस इबारत के ठीक नीचे बना है एक तीर

यहाँ में कहाँ वह कुव्वत
कि ग्राहक को ठीक-ठाक पहुँचा सके चक्की तक

माना कि बड़ी सामर्थ्य है शब्द में

 


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हिंदी समय में हरीशचंद्र पांडे की रचनाएँ