hindisamay head


अ+ अ-

कविता

पी टी ऊषा

वीरेन डंगवाल


काली तरुण हिरनी अपनी लंबी चपल टाँगों पर
उड़ती है
मेरे गरीब देश की बेटी
आँखों की चमक में जीवित है अभी
भूख को पहचानने वाली
विनम्रता
इसीलिए चेहरे पर नहीं है
सुनील गावस्कर की-सी छटा
मत बैठना पी टी ऊषा
इनाम में मिली उस मारुति कार पर
मन में भी इतराते हुए
बल्कि हवाई जहाज में जाओ
तो पैर भी रख लेना गद्दी पर
खाते हुए
मुँह से चपचप की आवाज होती है ?
कोई गम नहीं
वे जो मानते हैं बेआवाज जबड़े को सभ्यता
दुनिया के
सबसे खतरनाक खाऊ लोग हैं।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में वीरेन डंगवाल की रचनाएँ