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सिर्फ लिखा हुआ पुकारता है
लिक्खे की नोक ही छू सकती है
नक्षत्रों को
अब बित्ते भर के इस प्लास्टिक-बैट्री को ही देखो
गोया बना है गेंदे का गमकता फूल !
ये
लिखत का ही कमाल है
कैसा बखत आन पड़ा है
कि प्रेम और मैत्री का सुदूर संदेसा भी
आँखें भर देता है
बेईमान बकबक को महान बताने वाले
इस जमाने में
लिक्खा ही है
जो तुम्हारी साँसों में समा सकेगा
लिहाजा एक मूर्खतापूर्ण कार्रवाई के बतौर
मैं एक एस.एम.एस. लिख भेजता हूँ
पूरी दुनिया को
सभी भाषाओं में
'भूख और अत्याचार का अंत हो
घृणा का नाश हो
रहो सच्चे प्यार रहो
सबके हृदयों में
दुर्लभ मासूमियत बन कर'
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