बेईमान सजे-बजे हैं तो क्या हम मान लें कि बेईमानी भी एक सजावट है ? कातिल मजे में हैं तो क्या हम मान लें कि कत्ल करना मजेदार काम है ? मसला मनुष्य का है इसलिए हम तो हरगिज नहीं मानेंगे कि मसले जाने के लिए ही बना है मनुष्य
हिंदी समय में वीरेन डंगवाल की रचनाएँ