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					धन का घन 
					रहार बाज घन्न-घन्न 
					घन-घन-घन 
					घनन-घनन 
					फटे जा रहे पर्दे भ्रांतिग्रस्त कानों के 
					छुटे चले जाते हैं छक्के प्राणों के 
					काट रही सर्वव्याप्त अंधकार 
					लपटों की धुआँभरी हू-ब-हू 
					गोली की गोलों की सन-सन-सन-सनन-सनन 
					रात भरी भीषण अंधे कोलाहल कलरव से 
					बूटों की ठक-ठक से 
					भागती पदचापों से 
					चीखें कम उम्र लड़कियों की 
					चीत्कार 
					उत्फुल्लित युवा वर्ग हाय-हाय 
					धाँय-धाँय-ढम-ढम-ढम 
					टीवी की टनन-टनन 
					धन का घन ! 
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