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					कुछ नहीं लिखा जाता 
					हाशिए पर 
					खींचकर रेखा 
					या कागज मोड़कर 
					कर दिया जाता है 
					किनारे 
					कि कहीं घुस न जाए 
					मेढ़ तोड़कर 
					वो भीतर के 
					आरक्षित स्थान में 
					 
					खाली खाली सा होता है 
					वो हिस्सा 
					पूरी तरह उपेक्षित 
					मानो किसी साजिश 
					के तहत रखा जा रहा हो 
					उसे शब्दों से दूर 
					और ज्ञान से वंचित 
					 
					हालाँकि तय करता है वही 
					पंक्तियों की मर्यादा 
					उन्हें बताता है 
					सादगी का महत्व 
					बढ़ाता है उनका सौंदर्य 
					हाशिए पर रहकर 
					 
					जाने क्यों 
					किसी तरह का 
					प्रतिरोध नहीं करता वो 
					खामोशी के साथ 
					इंतजार रहता है उसे 
					किस परिवर्तन का 
					क्या होगा जब कभी 
					टूट जाएगा धैर्य हाशिए का 
					क्या होगी नई परंपरा 
					लेखन की 
					और कितना बदलेगा 
					अनुशासन लिखने का 
					क्या रचा जाएगा 
					एक नया सौंदर्य शास्त्र 
					और हाशिया बदल देगा 
					तमाम हाशियों का इतिहास। 
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