hindisamay head


अ+ अ-

कविता

यह जो मनुष्य है

प्रदीप त्रिपाठी


यहजो मनुष्य है

इसमें

सर्प से कहीं अधिक विष है

और

गिरगिट से अधिक कई रंग

दोनों का एक साथ होना

अथवा बदलना

मनुष्य, सर्प और गिरगिट के लिए तो नहीं

परंतु

मानव-सभ्यता के लिए घातक है।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में प्रदीप त्रिपाठी की रचनाएँ