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बाल साहित्य

मन करता हुड़दंग करें

शादाब आलम


मन करता हुड़दंग करें।

रामू-श्यामू, कल्लू-पप्पू
चुन्नू, मुरली संग करें।

बालू के टीले पे चढ़कर
कलाबाजियाँ खाएँ
हरी नीम पर झूला डालें
झूलें, पेंग बढ़ाएँ।
ताल शांत है, पत्थर फेंकें
सन्नाटे को भंग करें।

म्याऊँ-म्याऊँ आवाज निकालें
चूहों को डरवाएँ
भों-भों-भों-भों भौंक-भौंककर
बिल्ली को धमकाएँ।
मैकू काका के बछड़े को
खूब भगाएँ तंग करें।

दौड़े-भागें, कूदें-फाँदें
नाचें-शोर मचाएँ
बचपन के हर इक लम्हे का
जमकर लुत्फ उठाएँ।
अपनी नन्ही सी दुनिया में
हँसी-खुशी के रंग भरें।
मन करता हुड़दंग करें।

 


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हिंदी समय में शादाब आलम की रचनाएँ