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बाल साहित्य

भीड़-भड़क्का

शादाब आलम


मेले में है भीड़-भड़क्का
घुस गए उसमें मिस्टर लक्खा।

सिर पर भारी-भरकम पगड़ी
कंधे पर है गठरी
और साथ में है उनके इक
मोटी-भूरी बकरी।
जैसे-जैसे भीड़ बढ़ी तो
शुरू हो गया धक्कम-धक्का।

फँसे भीड़ में मिस्टर लक्खा
कैसे कदम बढ़ाएँ
पीछे से धक्का खाएँ तो
सँभल नहीं वह पाएँ।
मौका पाकर गठरी, बकरी
लेकर भागा एक उचक्का।

शोर शराबे में ना उनका
दिया किसी ने साथ
हटते-बचते बाहर निकले
बिलकुल खाली हाथ।
जेब टटोली, तो बटुआ ना-
पाकर रह गए हक्का-बक्का।

 


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