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बाल साहित्य

ऐसे मुझे खिलौने ला दो

शादाब आलम


ऐसे मुझे खिलौने ला दो
जैसे मैं बतलाऊँ पापा।

ऐसी मोटरगाड़ी जो बस
चाभी भरते दौड़ लगाए
तेल पिए न बिजली खाए
शोर करे न धुआँ उड़ाए।
उसे चलाकर रोज मजे-से
विद्यालय मैं जाऊँ पापा।

ऐसा प्यारा-सा गुड्डा जो
छूते ही मुझसे बतियाए
खुश देखे मुझको, मुस्काए
रूठूँ, तो आँसू टपकाए
लगे नाचने ठुमक-ठुमककर
ताली अगर बजाऊँ पापा।

एक पतंग हो खूब बड़ी जो
डोर पकड़ते ही लहराए
आसमान को छूकर आए
बारिश में भी उड़ती जाए।
सभी पतंगें काट गिरा दे
जब मैं पेंच लड़ाऊँ पापा

 


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