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इतना हुआ पुराना बरगद
नाना का भी नाना बरगद।
तोता चील गिलहरी कोयल
सबका बना ठिकाना बरगद।
लंबी दाढ़ी रोज हिलाता
है जाना-पहचाना बरगद।
दाढ़ी पकड़ झूलते बंदर
कभी बुरा न माना बरगद।
राहगीर को देता छाया
पंखा झले सुहाना, बरगद।
आंधी-पानी तूफानों से
सीख चुका टकराना बरगद।
डटा रहा चट्टानों जैसा
हार कभी न माना बरगद।
लाख थपेड़े सहकर भी है
जान गया मुस्काना बरगद।
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