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कोई भी मुझसे न पूछे
कि आखिर मै क्या चाहूँ।
मेरे इस नन्हे-से मन में
छिपी हुई हैं बातें खूब।
मन करता खरगोश बनूँ मैं
चरता फिरूँ मुलायम दूब।
पंख लगाकर उड़ने वाला
सुंदर-सा सपना चाहूँ।
पापा कहते हैं वकील बन
तुम्हीं बढ़ा सकते हो शान।
मम्मी कहें डॉक्टर बनकर
रख लेना तुम मेरा मान।
कभी किसी ने यह न पूछा
कि मै क्या बनना चाहूँ।
होमवर्क जब करने बैठूँ
दीदी बतला देतीं काम।
मचल उठे मन दौड़ूँ-खेलूँ
जैसे ही आती है शाम।
रोक लगाते हैं सब, पर मैं
नदिया-सा बहना चाहूँ।
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