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कविता

बड़ा मजा आए

फहीम अहमद


हर दिन रहे यूँ
शरारत का मौसम
बड़ा मजा आए।

खिलते गुलाबों-सी
चेहरों पे लाली।
तोतले धमाल मचे
पीट रहे ताली।

शहद घुली बोली ज्यों
चिड़ियों की सरगम
बड़ा मजा आए।

मुनमुन ने गुड़िया की
खींची जो चोटी।
गुड़िया ने काट ली
मीठी चिकोटी।

खुशी उन मुखड़ों से
बरस रही झम-झम
बड़ा मजा आए।

ऐनक लगा मुन्नू
आज बना बूढ़ा।
मम्मी-सा बाँध लिया
मुन्नी ने जूड़ा।

नटखट उमंगों का
लहराए परचम
बड़ा मजा आए।


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