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कविता

बातों की रेल

फहीम अहमद


बच्चों के बीच चली
बातों की रेल।

एक-एक डिब्बे में
बातों की पुड़िया।

होंठों से निकल ज्यों
फुदक रही चिड़िया।

चिड़िया उड़ाने का
शुरू हुआ खेल।

कोयल की बोली-सी
मीठी है बानी।

थोड़ी-सी बुद्धू है
थोड़ी सयानी।

मिसरी का चाशनी से
हो गया मेल।

लगती है बागों में
भौरों की गुनगुन।

बातों के मोती को
जीभ चुगे चुनचुन।

बातों की क्लास में
कोई न फेल।


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