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जीवनी

सुब्रह्मण्यम भारती : व्यक्तित्व और कृतित्व

मंगला रामचंद्रन

अनुक्रम 31. विशेष परिशिष्ट पीछे    

11 दिसंबर 1882 में जन्म

सन 1887 में माँ का देहांत

सन 1889 में पिताश्री का दूसरा विवाह तथा विमाता का आगमन

सन 1893 में भारती की उपाधि

सन 1894 में नौंवी कक्षा की शिक्षा पूर्ण तथा विद्वानों से चर्चारत

सन 1897 में 14 वर्ष की आयु में विवाह

सन 1898 पिता की मृत्यु, बुआ के साथ काशी प्रस्थान

सन 1902 मैट्रिक की शिक्षा पूर्ण, हिंदी, संस्कृत विशेष योग्यता

1902-1903 एटैयापुरम जमींदार के बुलावे पर वहाँ जाकर दरबारी कवि की नौकरी

सन 1903 भारती की प्रथम कविता मदुरै की पत्रिका 'विवेक भानु' में प्रकाशित

सन 1904 (1 अगस्त से 10 नवंबर तक) मदुरै के सेतुपति हा.से. स्कूल में अध्यापन

सन 1904, 11 नवंबर चेन्नै में 'स्वदेशमित्रन' में सहायक संपादक तथा दूसरे मासिक 'चक्रवर्धिनी' में प्रभारी रहे।

1905-06 देश की राजनीति में जोशखरोश के साथ प्रवेश, बंग बँटवारे का विद्रोह, व.उ. चिदंबरम से संबंध, दादाभाई नौरोजी के सभापतित्व में कलकत्ता में हुए काँग्रेस अधिवेशन में जाना। लौटते हुए निवेदिता देवी से मिल कर आना।

1907 - 'इंडिया' पत्रिका का उदय, भारती संपादक। एक अँग्रेजी पत्रिका 'बाल भारतम्' का प्रभार भी।

सूरत अधिवेशन में जाना। बाल गंगाधर तिलक से मिलना और प्रभावित होना। अरविंद घोष, लाला लाजपत राय आदि से परिचय। श्री वी.कृष्णस्वामी द्वारा 'स्वदेश गीतंगल' नाम से भारती की तीन कविताओं का चार पृष्ठ की पुस्तिका में प्रकाशन और विनियोग।

सन 1908 'स्वदेश गीतंगल' का पुस्तकाकार में प्रकाशन। तिलक के अनुयायी के रूप में तीव्रवादी के रूप में कार्य संपादन। पूरे देश में स्वराज्य दिवस मनाया जाता है। चेन्नै में भारतीजी इसका नेतृत्व करते हैं।

'इंडिया' पत्रिका में वीर रस के गीत व आलेखों तथा कार्टून द्वारा ब्रिटिश राज्य के खिलाफ विद्रोह का डंका बजाते हैं। जिससे पुलिस की नजर में रहते हैं। साथियों की सलाह और उनकी बात मान कर पुदुचैरी को प्रयाण।

सन 1908 'इंडिया' का प्रकाशन पुदुचैरी से। पत्रिका की आग उगलती और उद्वेलित भाषा जनता को विद्रोह के लिए उकसाती है और उनमें नई जान भी डालती है।

सन 1909 भारती का दूसरा कविता संग्रह 'जन्मभूमि' प्रकाशित होता है।

सन 1910 'विजया' दैनिक, 'सूर्योदयम' साप्ताहिक, 'बाल-भारतम्' अँग्रेजी साप्ताहिक, 'कर्मयोगी' मासिक सभी के प्रकाशन में अनेक तरह की बाधाएँ आ रही थीं। इसी बीच 'चित्रावली' का तमिल-अँग्रेजी में प्रकाशन की सूचना दी गई थी। पर शायद वो प्रकाशित हो ही नहीं पाई।

सन 1910 अप्रैल - वेदांतवेत्ता ज्ञानी अरविंद घोष का पुदुचैरी में आगमन।

सन 1910 नवंबर - देव भक्ति तथा देशभक्ति से ओत-प्रोत 'मातामणि वाचकम' प्रकाशित होती है व वे सू अय्यर पुदुचैरी आते हैं।

सन 1911 कलेक्टर एश की वांछीनाथन नामक क्रांतिकारी युवक द्वारा हत्या। भारती, अय्यर, अरविंद आदि पर हत्या में शामिल होने के संदेह में चौकसी बढ़ी।

सन 1912 'भगवत गीता' का तमिल में अनुवाद किया। अनेकों पुस्तकें प्रकाशित हुई जिनमें पाँचाली शपथम का पहला भाग भी है, जो कि एक अद्वितीय रचना मानी जाती है।

सन 1913-14 - सुब्रमण्यम शिवा की पत्रिका 'ज्ञान भानु' के लिए ऋग्वेद के सूक्त तथा अग्नि से संबंधित गीत लिखते रहे। दक्षिण अफ्रीका के नाटाल में रह रहे भारतीयों के बीच 'माता मणि वाचकम' प्रकाशित हुई। प्रथम विश्वयुद्ध प्रारंभ हो गया। पुदुचेरी में वास कर रहे नेताओं की मुसीबतें दुगुनी हो गई।

सन 1917 चू. नेल्लैअप्पर ने भारती की पुस्तक 'कण्णन् पाट्टु' (कृष्ण के गीत) की पहली प्रति चेन्नै में विमोचित करवाई।

सन 1918 चू. नैल्लैअप्पर ने देश भक्ति के गीतों को लोकगीत के नाम से प्रकाशित किया।

भारती पुदुचेरी से एक तरह से ऊब गए थे सो 20 नवंबर को वहाँ से निकल कर (फ्रेंच आधिपत्य से) ब्रिटिश आधिपत्य में पैर रखा। कडलूर के पास उन्हें कैद कर लिया गया। चौंतीस दिन रिमांड में रखने के बाद चेतावनी व कुछ प्रतिबंधों के साथ उन्हें छोड़ा जाता है।

सन 1918-20 गरीबी की पराकाष्ठा में कडैयम वास। इस बीच 1919 में चेन्नै आकर राजाजी के घर पर गांधीजी से मुलाकात।

सन 1920 'स्वदेशमित्रन' में सहायक संपादक के पद पर कार्यभार सँभाला।

सन 1921 तिरूवेल्लीकेनी के मंदिर में एक हाथी ने उन्हें उठा कर पटक दिया। इसी वर्ष सितंबर में इस चोट से उबर गए पर संग्रहणी रोग की चपेट में आ गए।

11 सितंबर 1921 को उनका रोग बढ़ जाता है। रात 1.30 बजे कवि सम्राट भारती अपना नश्वर शरीर त्याग कर आत्मा में विलीन हो गए।


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