hindisamay head


अ+ अ-

कविता संग्रह

कबीर ग्रंथावली

कबीर

संपादन - श्याम सुंदर दास

अनुक्रम साखी - अबिहड़ कौ अंग पीछे     आगे

कबीर साथी सो किया, जाके सुख दुख नहीं कोइ।
हिलि मिलि ह्नै करि खेलिस्यूँ कदे बिछोह न होइ॥1॥

कबीर सिरजनहार बिन, मेरा हितू न कोइ।
गुण औगुण बिहड़ै नहीं, स्वारथ बंधी लोइ॥2॥

आदि मधि अरु अंत लौं, अबिहड़ सदा अभंग।
कबीर उस करता की, सेवग तजै न संग॥3॥809॥



>>पीछे>> >>आगे>>