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बाल साहित्य

जीने दो सबको

मनोहर चमोली ‘मनु’


एक बार की बात है। जंगलवासियों ने शेर को अपना राजा चुन लिया। शेर अपनी मांद में आराम कर रहा था। एक बिल्ली आई। वह दूध पीने लगी। शेर दहाड़ा। बिल्ली से कहने लगा - ‘मुझसे पूछे बिना दूध कैसे पी लिया?’

बिल्ली ने हँसते हुए कहा - ‘जीभ से पिया। हम बिल्लियों को दूध बेहद पसंद होता है। हम दूध नहीं पिएँगे तो क्या घास खाएँगी!’ शेर को गुस्सा आ गया। वह दहाड़ते हुए बोला - ‘मैं सारी बिल्लियों को आदेश देता हूँ कि आज ही इस जंगल को छोड़ कर कहीं दूर चली जाएँ।’

बिल्ली ने आँखें मटकाते हुए कहा - ‘हाँ-हाँ। एक यही जंगल नहीं है, जहाँ हम रहें। हम जा रही हैं।’

जंगल की सारी बिल्लियों ने जंगल छोड़ दिया। शेर मांद में आराम करता रहा। एक दिन की बात है। शेर को मांद में साँप ही साँप दिखाई देने लगे। वह जहाँ भी नजर डालता, उसे रेंगते हुए साँप दिखाई देते। शेर चिल्लाया। वह दहाड़ते हुए कहने लगा - ‘तुम मेरी मांद में क्या कर रहे हो। भागो यहाँ से।’

एक साँप ने जवाब दिया - ‘कहाँ जाएँ। जंगल में साँप ही साँप हैं। रहने को और खाने को ठिकाना तो चाहिए।’

शेर ने कहा - ‘मैं आदेश देता हूँ कि इस जंगल में एक भी साँप नहीं रहेगा। चलो दफा हो जाओ मेरे जंगल से। नहीं तो मार दिए जाओगे।’

बूढ़ा साँप बोला - ‘ठीक है ठीक है। जा रहे हैं।’ जंगल के सभी साँप किसी दूसरे जंगल में चले गए।

शेर चैन से रहने लगा। लेकिन यह चैन कुछ ही दिनों के बाद शोरगुल में बदल गया। उसकी मांद में चूहे ही चूहे हो गए। चूहे दिन हो या रात। कुछ न कुछ कुतरने में लगे रहते।

शेर की नींद उड़ गई। उसे गुस्सा आ गया। वह जोर से दहाड़ा। शेर को मांद छोड़कर बाहर निकलना पड़ा। उसने देखा कि जंगल में चूहे ही चूहे हो गए हैं। वे यहाँ-वहाँ घूम रहे हैं। शेर सिर पकड़ कर बैठ गया। चूहों का शोर बड़ता ही जा रहा था। अब वह उसकी खाल नोंचने लगे थे। शेर बड़ी मुश्किल से बचता-बचाता जंगल की ओर भागने लगा।

पेड़ पर एक लंगूर बैठा हुआ था। उसने शेर को पुकारते हुए पूछा - ‘अरे। जंगल के शेर। कहाँ भाग रहे हो? हुआ क्या?’

शेर ने सारा किस्सा सुनाया। लंगूर हँसते हुए बोला - ‘जैसा बोओगे, वैसा काटोगे।’

शेर चौंका। पूछने लगा - ‘मतलब?’

लंगूर ने कहा - ‘मतलब यह कि यह सब तुम्हारा किया-धरा है।’

‘मेरा? क्या बकते हो?’ शेर ने पूछा।

लंगूर ने कहा - ‘क्या तुमने बिल्लियों को जंगल से नहीं भगाया?’

शेर ने कहा - ‘हाँ। उन्हें मैंने ही भगाया। तो?’

लंगूर बोला - ‘तो यह कि बिल्लियों के न रहने से चूहे बेखौफ हो गए। उनकी आबादी बढ़ती चली गई। साँप बेखौफ जंगल में घूमने लगे। तुमने साँपों को भी भगा दिया। चूहों ने उत्पात तो मचाना ही था। अरे। इतना भी नहीं समझते। यह जंगल हम सबका है। हम सब यहाँ एक-दूसरे की जरूरत है। कोई भी खुद पर भला कैसे निर्भर हो सकता है। खुद को जिंदा रखना है तो दूसरों को भी जीने देना होगा। समझे कुछ।’

शेर का सारा माजरा समझ में आ गया। वह समझ गया कि जंगल में छोटे से छोटे जीव का रहना भी जरूरी है।

लंगूर ने पूछा - ‘अब कहाँ चल दिए?’

शेर ने जवाब दिया - ‘सबको वापिस बुलाता हूँ।’ यह कहकर जंगल घने जंगल की ओर चला गया।


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