याद आता है तुम्हारा प्यार!
तुमने ही दिया था एक दिन मुझको रुपहले रूप का संसार!
सज गए थे द्वार-द्वार सुदर्श बंदनवार!
याद आता है तुम्हारा प्यार! प्राणप्रद उपहार!
हिंदी समय में महेन्द्र भटनागर की रचनाएँ