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कविता

वरदान

महेन्द्र भटनागर


याद आता है
तुम्हारा प्यार!

तुमने ही दिया था
एक दिन
मुझको
          रुपहले रूप का संसार!

सज गए थे
द्वार-द्वार सुदर्श
         बंदनवार!

याद आता है
तुम्हारा प्यार!
प्राणप्रद उपहार!


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