भूल जाओ मिले थे हम कभी! चित्र जो अंकित हुए सपने थे सभी!
भूल जाओ - रंगों को बहारों को, देह से : मन से गुजरती कामना-अनुभूत धारों को!
भूल जाओ - हर व्यतीत-अतीत को, गाए-सुनाए गीत को : संगीत को!
हिंदी समय में महेन्द्र भटनागर की रचनाएँ